छत्तीसगढ़राज्य

केलो विहार कॉलोनी के खाली प्लाटों का मामला पहुंचा उप पंजीयक कार्यालय…

रायगढ़ । किलो विहार कॉलोनी के विवाद रुक ही नहीं रहे हैं कि इसी कड़ी में नया विवाद उत्पन्न हो गया है कि अभी तक जिस खाली प्लाटों में निवास के लिए मकान नहीं बने हैं वैसे प्लाटों को समिति ने समाहित कर जरूरतमंदों को दे देने के संबंध में केलो बिहार समिति के भूतपूर्व अध्यक्ष गोपाल नायक के द्वारा श्री राजीव कालिया अधिवक्ता के माध्यम से एक आवेदन पत्र धारा 64 छत्तीसगढ़ सहकारी सोसाइटी अधिनियम के अंतर्गत श्रीमान उप पंजीयक महोदय के समक्ष प्रस्तुत किया गया है क्योंकि समिति की आदर्श नियम 43 (1) यह कहती है कि जो सदस्य भूखंड प्राप्त करने के अधिकतम निर्धारित अवधि 5 वर्ष तक मकान निर्माण नहीं करता है तो उक्त प्लाट पुनः समिति में समर्पित हो जायेगी और जरूरतमंदों को समिति का आदर्श नियम 6 के अनुसार अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति व कमजोर वर्ग के व्यक्तियों के पात्रता अनुसार आवंटित किया जाएगा।

किलो विहार समिति के पंजी में खाली प्लाटों को निरस्त करने संबंधी कार्यवाही किए जाने के लिए दिनांक 1/6/2010 को कार्यवाही बैठक में इस आशय का प्रस्ताव भी पारित किया गया है कि जो सदस्य आज तक अपने भूखंड पर काबिज नहीं है उनके भूखंड की निरस्ती की कार्यवाही की जावे। आज पर्यंत तक बैठक दिनांक 1/6/2010 के स्वीकृत प्रस्ताव का पालन नहीं किया गया है। जिन प्लाटों में 5 वर्ष की अधिकतम अवधि व्यतीत हो जाने के बाद भी मकान नहीं बने हैं विधि दृष्टिकोण से देखा जाए तो अब उसमें उनका कोई अधिकार नहीं है क्योंकि कॉलोनी के बनाने का यही आशय था कि कर्मचारी जरूरतमंदों को सस्ते दरों पर जमीन मिल सके और उसमें रहने के लिए मकान बना सके। जो सदस्य अभी तक मकान नहीं बनाए हैं उनका रहने के लिए
मकान की आवश्यकता नहीं है ऐसे खाली प्लाटों को अन्य पात्र व्यक्तियों को दिए जाने का प्रावधान है। प्रकरण प्रस्तुत होने से उन लोगों के लिए अब मुश्किलें खड़ी हो गई है जो अधिकार पत्र प्राप्त कर अभी तक निवास हेतु भवन निर्माण नहीं किए हैं और केवल कब्जा हैं या नियमों के विरुद्ध दूसरों को बेच दिए हैं।

एक तरफ तो वर्तमान में प्लाटों का दरें निर्धारण करने की प्रक्रिया विचाराधीन है ऐसे में अब सवाल उठता है कि प्रकरण प्रस्तुत हो जाने से क्या खाली प्लाटों का भी दरें निर्धारण किया जा सकता है ?

समिति के भूतपूर्व अध्यक्ष गोपाल नायक का कहना है कि समिति के सदस्यों के द्वारा सदस्यता के समय इस बात का शपथ पत्र लिखा जाना आवश्यक था कि संस्था के सदस्य प्लॉट प्राप्त करने पर पांच वर्ष की अवधि तक भवन निर्माण करेंगे और
निर्धारित अवधि में मकान निर्माण होने पर भूखंड निरस्तीकरण में उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी।

आवेदक के अधिवक्ता श्री राजीव कालिया का कहना है कि केलो विहार समिति के आदर्श उपविधियों व नियमों तथा बैठक दिनांक 1/6/2010 में पारित प्रस्ताव पर अमल होना चाहिए और जरूरतमंद पात्रों को खाली प्लॉट दिया जाना चाहिए जिससे विवादों का निपटारा हो सके।

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