अन्नदाताओं के पसीने से लहलहाई धान की फसल, खाद वितरण की सुनिश्चित व्यवस्था से किसानों में संतोष

कोरिया । छत्तीसगढ़ सहित कोरिया जिले में इस समय धान की रोपाई अपने चरम पर है। गांवों की गलियों में अब सामान्य चहल-पहल की जगह खेतों में किसानों की मेहनत और हलचलों की गूंज सुनाई दे रही है। सुबह से शाम तक अन्नदाता अपनी धान की फसल को सींचने में जुटे हैं। बैकुंठपुर, सोनहत विकासखंड के गांवों के खेतों में हरियाली की चादर बिछ गई है, जो मेहनत और उम्मीद का जीवंत प्रतीक बन गई है।
धान की लहलहाती फसलों के साथ किसानों के चेहरों पर भी संतोष की मुस्कान नजर आ रही है। कृषि विभाग के अनुसार जिले में इस वर्ष लगभग 32 हजार हेक्टेयर में धान, 7,500 हेक्टेयर में दलहन और 1,500 हेक्टेयर में तिलहन की फसलें लगाई गई हैं।हालांकि आषाढ़ माह में बारिश की थोड़ी कमी के कारण रोपाई में प्रारंभिक देरी हुई, फिर भी अब तक 80 प्रतिशत रोपाई कार्य पूर्ण हो चुके हैं। इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले महीनों में फसल उत्पादन सामान्य से बेहतर रहेगा।
खाद भंडारण और वितरण में नहीं आई कोई बाधा :
खाद आपूर्ति की स्थिति पर नजर डालें तो 9860 मीट्रिक टन के लक्ष्य के मुकाबले 8545 मीट्रिक टन खाद का वितरण किया जा चुका है। कृषि ऋण के रूप में 14,986 किसानों को लगभग 39 करोड़ रुपए की राशि वितरित की गई है।
अब किसान पहचानेंगे ‘फार्मर आईडी’ से :
तकनीकी युग में कदम रखते हुए कृषि क्षेत्र में भी डिजिटल क्रांति लाई गई है। एग्रीस्टेक परियोजना के तहत किसानों की डिजिटल पहचान सुनिश्चित करने के लिए फार्मर आईडी (किसान कार्ड) बनाए जा रहे हैं। अब किसानों को अपनी पहचान बताने के लिए किसी कार्यालय के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। इस पहल के अंतर्गत किसानों की कृषि भूमि को आधार से लिंक किया जाएगा, जिससे उन्हें कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन और मत्स्य पालन विभाग की योजनाओं का पारदर्शी लाभ मिल सकेगा।
जल्द करें पंजीयन, वरना छूट सकते हैं योजनाओं से :
कलेक्टर चन्दन त्रिपाठी ने सभी संबंधित विभागों राजस्व, कृषि, सहकारिता, सहकारी समितियों एवं लोक सेवा केंद्रों को निर्देशित किया है कि एग्रीस्टेक के तहत शीघ्र पंजीयन सुनिश्चित कराएं। किसान एग्रीस्टेक पोर्टल पर स्वयं या निकटतम लोक सेवा केंद्र में जाकर पंजीयन करा सकते हैं। पंजीयन के लिए कृषि भूमि का बी-1 दस्तावेज, ऋण पुस्तिका, आधार कार्ड, आधार से लिंक मोबाइल नंबर (जिस पर ओटीपी प्राप्त हो सके)।
छत्तीसगढ़ की खेती, पानी और परंपरा का संगम :
किसानों को उम्मीद है कि इस वर्ष भी उनके पसीने की सही कीमत उन्हें मिलेगी। खेतों में इस समय जो हरियाली की बहार फैली है, वह छत्तीसगढ़ की पारंपरिक कृषि संस्कृति और अन्नदाताओं की लगन का सजीव उदाहरण है।