EC में अब तक नहीं पहुंची SIR को लेकर कोई शिकायत

बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर राजनीतिक विवाद जारी है, लेकिन अभी तक किसी भी विपक्षी पार्टी ने चुनाव आयोग के समक्ष त्रुटियों से संबंधित कोई दावा या आपत्ति दर्ज नहीं कराई है। यह जानकारी बुधवार को भारतीय चुनाव आयोग द्वारा दी गई।
आयोग ने कहा है कि अंतिम मतदाता सूची में सभी योग्य मतदाताओं के नाम शामिल होने चाहिए और किसी अयोग्य व्यक्ति का नाम नहीं होना चाहिए। इसके लिए 1 अगस्त को जारी प्रारूप मतदाता सूची में अगर कोई गलती है, तो राजनीतिक दलों और आम नागरिकों से कहा गया था कि वे अपने दावे और आपत्तियां समय रहते दर्ज कराएं।
नहींं दर्ज कराई गई कोई आपत्ति
बुधवार को चुनाव आयोग द्वारा जारी एसआईआर बुलेटिन में बताया गया कि अब तक किसी भी राजनीतिक पार्टी ने मतदाता सूची की प्रक्रिया को लेकर न तो कोई दावा पेश किया है और न ही कोई आपत्ति दर्ज कराई है। आयोग के आंकड़ों के अनुसार, मतदाता सूची में योग्य नाम जोड़ने और अयोग्य नाम हटाने को लेकर आम नागरिकों से कुल 3,659 दावे और आपत्तियां प्राप्त हुई हैं। वहीं, 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के नए मतदाताओं की ओर से फॉर्म 6 और घोषणा पत्र सहित कुल 19,186 आवेदन जमा किए गए हैं।
दावों और आपत्तियों का निपटारा
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि एसआईआर नियमों के तहत 1 अगस्त 2025 को जारी मसौदा मतदाता सूची से किसी भी मतदाता का नाम बिना जांच, उचित सुनवाई और स्पष्ट आदेश के नहीं हटाया जा सकता। दावों और आपत्तियों का निपटारा संबंधित निर्वाचन अधिकारियों (ईआरओ और एईआरओ) द्वारा निर्धारित 7 दिन की अवधि समाप्त होने के बाद ही किया जाएगा।
गौरतलब है कि 24 जून से 25 जुलाई 2025 तक बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान चलाया गया था। इस दौरान कुल 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 7.24 करोड़ से अधिक ने अपने विवरण सत्यापन हेतु फॉर्म जमा किए। हालांकि, 1 अगस्त को जारी मसौदा मतदाता सूची में करीब 65 लाख लोगों के नाम शामिल नहीं पाए गए।
मरे हुए लोगों के नाम भी लिस्ट में थे दर्ज
65 लाख मतदाताओं में से 22 लाख ऐसे थे, जिनकी मृत्यु हो चुकी थी, लेकिन उनके नाम अब भी वोटर लिस्ट में दर्ज थे। लगभग 36 लाख यानी 4.59 प्रतिशत मतदाता वे हैं, जो या तो दूसरी जगह स्थानांतरित हो गए हैं या फिर जिन्होंने आवश्यक फॉर्म नहीं भरे हैं। वहीं, करीब 7 लाख मतदाताओं ने दो बार नामांकन करवाया था, यानी उनका नाम सूची में दो बार दर्ज हो गया था।