
– विधायक व्यास नारायण कश्यप पर खोखसा ओवरब्रिज चक्काजाम का केस
– विधायक बालेश्वर साहू को पुलिस ने किया गिरफ्तार, फिर जमानत पर रिहा
– जनप्रतिनिधियों की भूमिका पर उठे सवाल — क्या लोकतंत्र के प्रहरी खुद ही कानून तोड़ेंगे?
– बच्चों को ढाल बनाकर सड़क जाम — बाल संरक्षण अधिनियम का खुला उल्लंघन
जांजगीर-चांपा, छत्तीसगढ़ की राजनीति एक बार फिर सवालों के घेरे में है। जनप्रतिनिधियों पर ही जब कानून तोड़ने, हिंसा करने और आम जनता की पीड़ा को अनदेखा करने के आरोप लगने लगें, तब लोकतंत्र की आत्मा कांप उठती है। जांजगीर-चांपा से आई दो बड़ी खबरों ने यही तस्वीर पेश की है।
विधायक व्यास कश्यप पर FIR, चक्काजाम में स्कूली बच्चों को बनाया गया ढाल- खोखसा ओवरब्रिज के पास विधायक व्यास नारायण कश्यप सहित 12 अन्य जनप्रतिनिधियों एवं ग्रामीणों द्वारा एक उग्र चक्काजाम किया गया। विरोध का मुद्दा था — खराब सड़कें, विशेषकर जर्वे (छोटा) से पिथमपुर तक जाने वाले मार्ग की जर्जर स्थिति। चक्काजाम ने राहगीरों की आवाजाही को पूरी तरह ठप कर दिया। स्कूली बच्चों को भी जानबूझकर इस विरोध प्रदर्शन में शामिल किया गया, जो बाल संरक्षण अधिनियम का सीधा उल्लंघन माना गया।
थाना जांजगीर में इस पूरे घटनाक्रम पर FIR दर्ज की गई, जिसमें भारतीय न्याय संहिता के प्रावधानों का उल्लंघन, लोक मार्ग बाधित करना, बाल अधिकारों का उल्लंघन, आदि धाराओं में मामला दर्ज किया गया।
जिनके विरुद्ध अपराध पंजीबद्ध हुआ है, उनमें विधायक व्यास नारायण कश्यप के अलावा, सरपंच उत्तरा कश्यप, उपसरपंच योगेश कश्यप, जिला पंचायत सदस्य उमा राठौर, जनपद सदस्य डिगेश्वर यादव, पार्षद अरमान खान, टंकेश्वर यादव, संजय यादव, गोपल कश्यप, गिरधारी कश्यप, किशोर सिंह, और किसान नेता संदीप तिवारी मेहदा के नाम शामिल हैं।
दूसरी बड़ी कार्रवाई: विधायक बालेश्वर साहू गिरफ्तार, फिर जमानत पर रिहा – दूसरी बड़ी घटना चांपा थाना क्षेत्र से सामने आई, जहां जैजैपुर से विधायक श्री बालेश्वर साहू के विरुद्ध शारीरिक हिंसा, गाली-गलौज और धमकी के आरोप में आपराधिक प्रकरण दर्ज कर उन्हें विधिवत गिरफ्तार किया गया।
पूरा विवाद शुरू हुआ था AC के आउटर यूनिट को लेकर। आवेदक चंद्रशेखर राठौर ने शिकायत की कि विधायक ने उनके मकान की दीवार पर जबरन अपना एसी आउटर यूनिट लगवा दिया। कई बार अनुरोध के बावजूद यूनिट नहीं हटाया गया।
10 जून को जब चंद्रशेखर राठौर के जीजा हेमंत राठौर, जो एक ठेकेदार हैं, ने मजदूरों से यूनिट हटाने को कहा, तो विधायक आगबबूला हो गए। गाली-गलौज के बाद विधायक ने मोबाइल छीनकर रिकॉर्डिंग डिलीट की, और फिर हेमंत राठौर को 6–7 थप्पड़ मारे तथा जान से मारने की धमकी दी।
शिकायत के आधार पर थाना चांपा में अपराध क्रमांक 248/25 के तहत धारा 329(4), 296, 351(2), 115(2) BNS में मामला दर्ज किया गया। विवेचना में आरोप सिद्ध पाए जाने पर 29 जून को विधायक को गिरफ्तार किया गया, हालांकि मामला जमानतीय होने के कारण उन्हें मुचलके पर रिहा कर दिया गया। इसकी सूचना माननीय विधानसभा अध्यक्ष को भी भेजी गई है।
जनप्रतिनिधियों की भूमिका पर सवाल – इन दोनों मामलों ने यह ने यह स्पष्ट कर दिया है कि छत्तीसगढ़ में कई जनप्रतिनिधि कानून से ऊपर समझने की मानसिकता पाल चुके हैं। विधायक से उम्मीद होती है कि वह जनता की समस्याएं लोकतांत्रिक तरीके से उठाएं, लेकिन एक ने जहां स्कूली बच्चों को अपने प्रदर्शन की ढाल बना डाला, वहीं दूसरे ने अपने प्रभाव में आकर मारपीट जैसे आपराधिक कार्य कर डाले।