
इस्लामिक नए साल की शुरुआत मोहर्रम के महीने से होती है। इस महीने की 10वीं तारीख को हज़रत सैय्यद ईमाम हुसैन (र.अ.) और तमाम शोहदाये कर्बला की याद में मनाया जाता है, जिसे आशूरा भी कहा जाता है। इस दिन ईमाम हुसैन और उनके घराने की अज़ीम शहादत को याद किया जाता है।
इस मौके पर संस्थापक, मो. सज्जाद खान ने बताया कि अल्लाह की राह में जो कुर्बान होते हैं वो शहीद कहलाते हैं और ये महीना मानवता और इंसानियत के साथ हक़ (सच्चाई) पर कायम रहने का सन्देश देता है। किसी के ज़ुल्म के खिलाफ झुकना नहीं चाहिए, कर्बला की जंग में इंसानियत के दुश्मन यज़ीद का मुकाबला करते हुए पैगंबर के नवासे हज़रत इमाम हुसैन (र.अ.) ने शहीद होकर पूरी कायनात को यही सन्देश दिया है। यौमे आशूरा की नमाज़ कायम कर मो. सज्जाद खान ने विश्व में शांति समृद्धि, अमन चैन, भाईचारा की दुआ के साथ सभी धर्म वर्ग के लोगों की सेहतयाबी की दुआए की गई। साथ ही संस्था कार्यालय, रामनगर, रायपुर में दोपहर 2 बजे से हजारों की तादाद में स्थानीय बस्ती वासियों एवं आम नागरिकों के लिए शुद्ध शाकाहारी पुलाव, दाल, सब्जी, मिष्ठान का आम लंगर (भंडारा) का आयोजन किया गया साथ ही मो. सज्जाद खान के मार्गदर्शन में संचालित सुपोषण अभियान के *1925वें* दिन शहर के अन्य स्थानों में बेसहारों, लाचार, वृद्धजनों, महिलाओं, मासूम बच्चों तथा अस्पताल में मरीजों के परिजनों के पास पहुँच कर उन्हें गर्म भोजन और मिष्ठान वितरण किया।
इस अवसर पर संस्थापक, मो. सज्जाद खान के साथ राजेन्द्र शर्मा, महावीर जैन, पूनम यादव, ज़ुबैर खान, अजहर शरीफ, वसीम, राशिद बिलाल, अरहम खान, अनिल शर्मा, मंजू ज्ञानचंदानी, मयंक शर्मा, कुलविंदर सिंह, फराज खान, देवानंद सिन्हा एवं अन्य उपस्थित रहे।